Patanjali Swasari Vati in Hindi: पतंजलि श्वासारी वटी आयुर्वेदिक तत्वों से बनी एक शुद्ध शाकाहारी औषधि है। पतंजलि श्वासारी वटी को हाल ही में पतंजलि द्वारा लांच किया है। यह दवा दिव्य कोरोनिल किट का हिस्सा है, जिसमें अणु तेल, कोरोनिल टैबलेट और पतंजलि श्वासारी वटी का समायोजन होता है।
पतंजलि श्वासारी वटी का उपयोग सर्दी, खाँसी, जुकाम, बुखार, टी.बी., छाती में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश और अन्य सभी प्रकार के श्वसन संबंधी विकारों के उपचार हेतु किया जाता है।
पतंजलि श्वासारी वटी दवा रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी सहायक है। यह दवा कोरोना वायरस (Covid-19) के रोकथाम हेतु उपयोगी आयुर्वेदिक विकल्प है।
पतंजलि श्वासारी वटी के घटक – Patanjali Swasari Vati Ingredient in Hindi
पतंजलि श्वासारी वटी में शामिल मुख्य सक्रिय आयुर्वेदिक घटक निम्नलिखित है, जो एक तय मात्रा में उपयोग किए जाते है।
- मुलेठी
- काकड़ासिंगी
- मारीच
- रुदंती
- सौंत
- छोटी पीपल
- दालचीनी
- लवंग
- अकरकरा
- गोदन्ती भस्म
- अभ्रक भस्म
- मुक्ता शुक्ति भस्म
- प्रवाल पिष्टी
- कपर्धक भस्म
- स्फटिक भस्म
- तानन भस्म आदि
पढ़िये: Patanjali Divya Dhara in Hindi | Ashokarishta in Hindi
Patanjali Swasari Vati कैसे कार्य करती है?
- मुलेठी आमतौर पर, सर्दी-जुकाम या खांसी में आराम देने में लाभकारी है। यह गले की खराश में भी सबसे ज्यादा असरदार है।
- काकड़ासिंगी, कफ और वात की समस्याओं के इलाज में बेहद कारगर है।
- दालचीनी एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक तत्व है। इसका उपयोग खाँसी, सिरदर्द, टीबी आदि विकारों को ठीक करने हेतु किया जाता है।
- मुक्ता शुक्ति भस्म, इस दवा को ज्यादा प्रबल बनाने का कार्य करती है। यह श्वशन दर बढ़ाकर छाती की जकड़न या भारीपन को दूर कर के कार्य करती है।
- दवा में मौजूद सभी आयुर्वेदिक घटक श्वसन तंत्र और प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने का कार्य करते है।
- लेकिन पतंजलि श्वासारी वटी किसी खास तरीके से सीधे कोरोना वायरस पर काम नहीं करती है, बल्कि इसके कुछ लक्षणों पर प्रभाव डालती है।
श्वासारी वटी के उपयोग व फायदे – Swasari Vati Uses & Benefits in Hindi
पतंजलि श्वासारी वटी का सही तरीके से उपयोग करने के निम्न फायदे है।
- फेफड़ो को मजबूत बनाने में सहायक
- श्वशन दर सामान्य करने में मददगार
- छाती का दबाव कम करना
- सर्दी, खाँसी, जुकाम का उपचार
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा
- टीबी में उपयोगी
- वात और कफ की समस्याओं का निवारण
पतंजलि श्वासारी वटी के दुष्प्रभाव – Patanjali Swasari Vati Side Effects in Hindi
पतंजलि श्वासारी वटी से होने वाले नुकसानों की अभी तक कोई खास पुष्टि नहीं हो पाई है। इस दवा के विषय में, ये ही माना जाता है, कि इससे कोई दुष्प्रभाव या शारीरिक नुकसान नहीं होता है। ये दवा हर स्थितियों के लिए पूर्णतया सुरक्षित है, लेकिन अन्य एलोपैथिक दवाओं के साथ इस दवा का व्यवहार कैसा हो सकता है, इस बारें में एक अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक की सहायता अवश्य लें।
यदि पतंजलि श्वासारी वटी की खुराक के बाद आपका मन विचलित होने लगता है या आप किसी भ्रम का शिकार होते है, तो इस दवा खुराक को बंदकर कर डॉक्टर से परामर्श करें।
पढ़िये: बृहत्यादी कश्यम | संशमनी वटी
श्वासारी वटी की खुराक – Swasari Vati Dosage in Hindi
- पतंजलि श्वासारी वटी दवा टैबलेट रूप में होती है। शुरू में इन टैबलेट की खुराक कम मात्रा से शुरु करें। बेहतर और सुरक्षित परिणाम के लिए इस दवा की खुराक एक आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा चुनें।
- एक सामान्य वयस्क के लिए इस दवा की खुराक दिन में दो टैबलेट फायदेमंद है। लेकिन इसमें बदलाव हो सकता है।
- बच्चों में इस दवा की खुराक दी जा सकती है। शुरू में, बच्चों को रोजाना एक टैबलेट की खुराक दें। 10 साल से कम उम्र के बच्चों में बाल रोग विशेषज्ञ का सहारा लें।
- पतंजलि श्वासारी वटी की खुराक गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने से अधिक फायदा मिलता है।
- पतंजलि श्वासारी वटी की खुराक को जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा किया जा सकता है। लेकिन दवा पर एकदम से विराम लगाने से पहले चिकित्सक की मंजूरी लें।
- पतंजलि श्वासारी वटी का गलत या सीमा से ज्यादा इस्तेमाल करने से बचें। इस दवा की दो लगातार खुराकों के बीच एक जरूरी समय अंतराल का पालन रोजाना करें।
- इन टैबलेट को इकट्ठा न लें, बल्कि अलग-अलग खुराकों में विभाजित कर इनका सेवन करें।
- यदि पतंजलि श्वासारी वटी दवा की कोई खुराक छूट जाती है, तो बिना देर किए छूटी हुई खुराक को समय रहते ले लेना चाहिए।
- ओवरडोज से हमेशा बचने का प्रयास करें। लेकिन यदि दवा की खुराक से ओवरडोज हो जाएं, तो खुराक बंदकर चिकित्सा सहायता लें।
पतंजलि श्वासारी वटी से सावधानियां – Patanjali Swasari Vati Precautions in Hindi
- गर्भवती महिलाएं पतंजलि श्वासारी वटी दवा की खुराक सावधानीपूर्वक डॉक्टर की देखरेख में लें।
- पतंजलि श्वासारी वटी के साथ एल्कोहोल के सेवन से बचें।
- धूम्रपान से भी परहेज करें।
- एक्सपायरी दवा इस्तेमाल करने से बचें, दवा पर अंकित अंतिम दिनांक की जांच करें।
- श्वासारी वटी में मौजूद अगर किसी घटक से एलर्जी हो, तो इसका सेवन ना करें।
पढ़िये: Drakshasava Syrup in Hindi | Khadirarishta in Hindi
Patanjali Swasari Vati FAQ in Hindi
उत्तर: इस दवा का असर कुछ मरीजों में जल्दी तथा कुछ मरीजों में विलंब से दिखता है। इस दवा की खुराक शुरू करने के बाद औसतन 3 महीनों में इसका असर दिखना शुरू हो जाता है।
उत्तर: हाँ, यह दवा गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है और इसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान, अन्य कई प्रकार की एलोपैथिक दवाएं जारी रहती है। इसलिए इस दवा की प्रतिक्रिया से बचने हेतु इस विषय में अपने डॉक्टर की पूरी सहायता लें।
उत्तर: हाँ, यह आयुर्वेदिक दवा स्तनपान कराने वाली महिलाओं में पूर्णतया सुरक्षित है। लेकिन इस अवस्था में डॉक्टर से निजी सलाह लेना बेहद जरूरी है।
उत्तर: इस दवा की प्राथमिकता श्वसन संबंधी विकारों का इलाज करना है। लेकिन इस दवा में उपस्थित कुछ घटक पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक हो सकते है, लेकिन सिर्फ पाचन तंत्र के लिए इसका उपयोग ना करें। पाचन तंत्र के लिए पतंजलि के अन्य उत्पाद मार्केट में मौजूद है।
उत्तर: यह दवा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर शरीर को कोरोना वायरस के विरुद्ध अच्छे से तैयार करती है। यह कोरोना से होने वाले सांस संबंधी लक्षणों का इलाज करती है। लेकिन यह कोरोना की वैक्सीन नहीं है, इसे आप एक रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का उत्पाद मान सकते है।
उत्तर: नहीं, इस दवा की खुराक से इसकी आदत नहीं लगती है। यह दवा प्राकृतिक घटकों से निर्मित हैं, जिनमें नशे की लत का कोई गुण नहीं होता है।
उत्तर: हाँ, इस दवा की खुराक के बाद ड्राइविंग करना सुरक्षित है। यदि मरीज के मौजूदा हालात गंभीर है, तो ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए।
उत्तर: पतंजलि श्वासारी वटी के साथ एल्कोहोल के सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा, धूम्रपान के सेवन से भी बचना चाहिए, क्योंकि इनसे समस्याएं कम होने की बजाए बढ़ सकती है।
उत्तर: नहीं, यह दवा वजन बढ़ाने में सहायक नहीं है। वजन बढ़ाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
उत्तर: हाँ, यह आयुर्वेदिक दवा भारत में पूर्णतया लीगल है।
पढ़िये: लोध्रासव के फायदे | अभयारिष्ट के फायदे