loha bhasma in hindi

लौह भस्म के फायदे, नुकसान, खुराक, सावधानी, उपयोग | Loha Bhasma in Hindi


लौह भस्म क्या है? – What is Loha Bhasma in Hindi

लौह भस्म का उपयोग हर उस समस्या के लिए किया जाता है, जो शरीर में लौह तत्वों की कमी से पैदा होती है। यह बहुत सारी आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयों का सक्रिय घटक है, जैसे कुश्ता फौलाद, योगेन्द्र रस, पौरुष जीवन कैप्सूल, मन्मथ रस आदि।

लौह भस्म

लौह भस्म आयरन का ऑक्साइड है, जो आयरन की विशिष्ट उपलब्धता को पूरा करती है।

लौह तत्व शरीर में सप्त धातुओं की पुष्टि करता है और रक्त विकृति को ठीक करता है। लौह भस्म एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसमें अन्य रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है।

लौह भस्म की शुद्धता और गुणवत्ता से हमारा शरीर खून की कमी से होने वाले एनीमिया रोग, पीलिया, शारीरिक दुर्बलता, सूजन, लीवर की समस्या आदि सभी लक्षणों से लड़ने के काबिल बन जाता है।

लौह भस्म को शरीर हेतु आयरन की अतिरिक्त खुराक की चाह के लिए प्रयोग किया जाता है।

यह सूजन, मोटापा, हृदय रोग, रक्त प्रदर, कृमि विकार, कुष्ठ रोग, क्षय रोग, बुखार, मानसिक कमजोरी, रक्तपित्त की समस्या, कब्ज, बवासीर, पेट रोग, पाचन कमजोरी, त्वचा विकार, अतिसार, प्लीहा वृद्धि, अस्थमा, टायफाइड और अन्य कई स्वास्थ्य जटिलताओं में लौह भस्म फायदेमंद हो सकती है।

यह औषधि एक बेहतरीन वाजीकारक है, जो यौन दुर्बलता के लिए अद्भुत मानी जाती है। यह नपुंसकता, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, मूत्रदोष, कामेच्छा की कमी, कमजोर नसों और वीर्य दोषों के लिए अति-उत्तम साधन है।

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लौह भस्म के उपयोग – Loha Bhasma Uses in Hindi

स्वास्थ्य के लिए लौह भस्म के उपयोग कुछ इस प्रकार है।

खून की कमी को दूर करने में सहायक

खून की कमी हमारे लिए पांडु रोग (पीलिया), शारीरिक कमजोरी, अंगों का नीरसता, एनीमिया आदि मुख्य बीमारियों का कारण बन सकती है। लौह भस्म आयरन की पूर्ति कर खून को बनने में मददगार होती है, यह खून में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाकर हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार करती है तथा रक्तस्राव को कम कर खून का संचय करने में सहायता करती है।

आयरन की आपूर्ति करने में मददगार

अक्सर आयरन की पर्याप्त मात्रा का भोजन न मिल पाने के कारण शरीर में लौह तत्व की कमी लगातार बनी रह सकती है, जिससे कमजोरी, सूजन, धातु विकार, मोटापा, आंत्ररोग, प्रदर विकार, लीवर से जुड़ी समस्याएं, कुष्ठ रोग, पेट रोग, बुखार, हृदय रोग, बवासीर आदि लक्षणों का प्रभाव बढ़ सकता है। यह आयुर्वेदिक दवा आयरन की कमी को दूर कर इन सभी संवेदनाओं का हल कर सकती है।

शक्तिवर्धन हेतु लौह भस्म का प्रयोग

लौह भस्म में शरीर को ऊर्जावान और शक्तिवान बनाने की खूबी होती है। यह भस्म वाजीकारक के रूप में कार्य कर वीर्य संबंधी कई समस्याओं से छुटकारा दिला सकती है। यह शरीर की कमजोरी दूर करने और यकृत को ऊर्जा प्रदान करने में मददगार है।

प्रदर रोगों में लाभकारी

लौह भस्म का सेवन महिलाओं के लिए प्रदर रोगों से मुक्ति का एक सुगम मार्ग है। यह भस्म श्वेत प्रदर और रक्त प्रदर जैसी समस्याओं में काफी लाभकारी साबित हो सकती है।

लौह भस्म के फायदें

  • अतिसार
  • अम्लपित्त
  • शरीर में सूजन
  • लौह पोषक तत्वों की कमी
  • कृमि संक्रमण
  • अस्थमा
  • पीलिया
  • त्वचा के रोग
  • हृदय की समस्याएं
  • रक्त संचरण दोष
  • शीघ्रपतन
  • नपुंसकता
  • स्वप्नदोष
  • स्तंभन दोष
  • तिल्ली वृद्धि
  • अशुद्ध रक्त
  • मंदाग्नि
  • खूनी बवासीर

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लौह भस्म के दुष्प्रभाव – Loha Bhasma Side Effects in Hindi

  • लौह भस्म की अधिकता से गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते है इसलिए इसे चिकित्सक की देखरेख में लिया जाना उचित है।
  • इससे आपके मुँह का स्वाद मेटेलिक हो सकता है, जो एक प्रकार का दुष्प्रभाव है।
  • यदि इस पर नियंत्रण न रखा जाएं तो यह भस्म कब्ज और गैस का कारण हो सकती है।
  • इनके अलावा भी अन्य साइड इफेक्ट्स लौह भस्म से हो सकते है।

लौह भस्म की खुराक – Loha Bhasma Dosage in Hindi

  • लौह भस्म से जुड़े कई उत्पादों की सही खुराक मरीज के रोग के प्रकार पर निर्भर करती है।
  • पीलिया रोग में मूल लौह भस्म की 1 रत्ती को अभ्रक भस्म की 1 रत्ती के साथ मिलाकर पुनर्नवा रस के साथ इसका सेवन करें।
  • श्वेत प्रदर में लौह भस्म की 1 रत्ती, गोदन्ती भस्म की 2 रत्ती तथा रालचुर्ण की 4 रत्ती को मिक्स कर लोध्रासव के साथ इस्तेमाल करें।
  • धातुओं की पुष्टि करने के लिए लौह भस्म की 2 रत्ती को पीपल के चूर्ण और शहद के साथ मिक्स कर इसका सेवन करना चाहिए।
  • रक्तपित्त में लौह भस्म 1 रत्ती और प्रवाल पिष्टी की 1 रत्ती को मिश्री के साथ मिलाकर दूर्वा सवरस के साथ प्रयोग में लें।
  • अन्य कई मुद्दों के लिए इस भस्म को लेने का तौर-तरीका जानने हेतु किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें। आमतौर पर, इसकी खुराक दिन में दो बार 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम तक लें सकते है।

सावधानियां – Loha Bhasma Precautions in Hindi

निम्न सावधानियों के बारे में Loha Bhasma के उपयोग से पहले जानना जरूरी है।

किसी अवस्था से प्रतिक्रिया

निम्न अवस्था व विकार में लौह भस्म से दुष्प्रभाव की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए जरूरत पर, विशेषज्ञ को अवस्था बताकर ही लौह भस्म की खुराक लें।

  • अतिसंवेदनशीलता
  • लीवर या किडनी दर्बलता

भोजन के साथ प्रतिक्रिया

लौह भस्म और निम्न खाद्य-सामाग्री का सेवन साथ में ज्यादा करने से बचना चाहिए।

  • तेल
  • खटाई
  • लाल मिर्च

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Loha Bhasma FAQ in Hindi

1) क्या लौह भस्म गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है?

उत्तर: लौह तत्व हर किसी के लिए मौलिक आवश्यकताओं में से एक औपचारिक जरूरत है। लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा भी सेहत के लिए अच्छी नहीं है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसकी सटीक खुराक और सही समयावधि के लिए अपने चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए।

2) क्या लौह भस्म स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित है?

उत्तर: स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर लौह तत्व की कमी या वृद्धि से किस प्रकार का व्यवहार पारदर्शी हो सकता है तथा इसमें लौह भस्म का क्या योगदान हो सकता है, इसकी जानकारी किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से लें।

3) क्या लौह भस्म मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकती है?

उत्तर: इस विषय में संपूर्ण जानकारी के लिए अपने निजी मासिक धर्म चक्र से जुड़े चिकित्सक की सलाह लें।

4) क्या लौह भस्म को शहद के साथ लेना सुरक्षित है?

उत्तर: हाँ, लौह भस्म को कई बीमारियों में शहद के साथ बिल्कुल सुरक्षित होता है। इसे मधु के साथ लेने से मुँह का स्वाद नहीं बिगड़ता है।

5) क्या लौह भस्म भूखे पेट सुरक्षित है?

उत्तर: लौह भस्म की खुराक को भोजन के बाद लेने की सलाह दी जाती है। भूखे पेट इसे ज्यादा लेने से पेट में दर्द और मतली की समस्या हो सकती है।

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