Pregnancy Me Kya Nahi Karna Chahiye

Pregnancy Me Kya Karna Chahiye or Kya Nahi | गर्भावस्था से जुड़ी सावधानियां


गर्भावस्था हर एक महिला के जीवन की वो अवधि होती है, जिसमें वे बहुत अलग महसूस करती है, खासकर जब पहली प्रेगनेंसी हो।

शुरुआती दिनों में महिलाओं के मन में बहुत से सवाल रहते है, जैसे

  • प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए?
  • प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए?
  • प्रेगनेंसी में सम्बन्ध कैसे बनाये?
  • प्रेगनेंसी में कैसे सोना और बेठना चाहिए?

इन 9 महीनों में महिलाए कई उतार छड़ाव से गुजरती है, संतान होने की खुशी के साथ-साथ डर भी हमेशा मन में रहता है, जो जायज भी है। पर कुछ साधारण सावधानी अपनाकर, यह संवेदनशील समय आराम से निकल जाता है।

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गर्भावस्था से जुड़ी सावधानियां

इस लेख में गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी टिप्स साझा की गयी है। जिसमें घरेलू काम से लेकर गर्भावस्था में संभोग करने से जुड़ी सावधानियाँ शामिल है।

आइये जानते है, गर्भावस्था से जुड़ी सावधानियाँ जिससे प्रसव (Delivery) तक का सफर आरामदेह बरकरार रहें।

गर्भावस्था में संभोग कर सकते है

कई दंपति में यह डर रहता है, कि प्रेगनेंसी में संभोग करना चाहिए या नहीं? और अगर हाँ तो फिर कैसे?

गर्भावस्था में संभोग करना बिल्कुल सुरक्षित माना जाता है और इससे शिशु पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता है, जबतक डॉक्टर निजी रूप से मना ना कहे।

कुछ महिलाएं गर्भावस्था में संभोग की मंशा ज्यादा रखती है, जो शिशु के लिए भी लाभदायक होता है।

पर खास सावधानी सेक्स पोसिशन को लेकर रखनी चाहिए। महिला के पेट पर ज़ोर ना पड़े, इसके लिए निम्न पोसिशन ही अपनाए। इनके बारे में इंटरनेट पर सर्च कर सकते है।

  • Doggy style
  • Cowgirl
  • Reverse Cowgirl
  • Seated Pregnancy Sex Position
  • Spooning
  • Standing

निम्न मामलों में गर्भावस्था में सेक्स नहीं करना चाहिए।

  • ज्यादा ब्लीडिंग,
  • गर्भपात (Miscarriages) का इतिहास,
  • अत्यधिक ब्लीडिंग या डिस्चार्ज,
  • जुड़वा बच्चे या उससे ज्यादा होने की संभावना,
  • अन्य यौन समस्या
  • या 37वें हफ्ते की शुरुआत (प्रीटर्म लेबर होने पर)

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घरेलू कार्यों में सावधानी

गर्भावस्था में थोड़ा बहुत घरेलू कार्य करने में कोई बुराई नहीं है। इससे शारीरिक रूप से सक्रिय रह सकते है, जो माँ और होने वाला शिशु दोनों के लिए अच्छा होता है।

लेकिन घरेलू कार्य करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें।

  • यदि आपको ज्यादा समय तक किचन में खड़ा रहना पड़ता है, तो आप कुर्सी पर बैठ कर उस कार्य को पूरा करें।
  • ऊपर पड़ी किसी चीज तक हाथ न पहुँच पाने से उसे उतारने का प्रयास न करें, इससे आप फिसल के गिर सकती है और चोंट लग सकती है। इसके लिए घर के किसी सदस्य की मदद लें।
  • पानी से भरी बाल्टी और समान से भरा बॉक्स उठाना या सोफा या अन्य भारी चीज को खिसकाने से बचें, इस दौरान आपकी शारीरिक कमजोरी आपको चक्कर का आभास करा सकती है।
  • ज्यादा देर तक सिलाई मशीन पर न बैठें, इससे आपकी कमर दर्द से हो सकती है।
  • अंतिम दो या चार महीनों में झाड़ू और पोछा बैठ के न लगाएं। पेट के बल नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे बच्चें पर दबाव पड़ सकता है।
  • गर्भावस्था में अधिक थकने वाला कार्य करने से बचें।
  • कार्य जिसमें बहुत सारी आवाज हो, कंपन (Vibration) हो, ज्यादा खड़ा या झुकना हो या अत्याधिक गर्मी हो, तो ऐसे काम ना करें।

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खानपान पर ध्यान देना आवश्यक

गर्भावस्था में शरीर के अंदर क्या परिवर्तन हो रहे है, इसकी जानकारी हो या ना हो, लेकिन हम उस दौरान किस तरह का खानपान ले रहे है, इस बात की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। खानपान अच्छा होने स्वास्थ्य में काफी निखार आता है।

  • ज्यादा मसालेदार, तेलयुक्त या वसायुक्त भोजन के सेवन से परहेज करें।
  • कैफीन (जैसे कॉफी) के उपयोग को कम कर समय से पहले प्रसव की संभावना को कम करती है।
  • जो खाद्य पदार्थ शरीर में ज्यादा गर्मी पैदा करते है, अर्थात जो शरीर के लिए ज्यादा गर्म साबित होते है, उनके लेने से बचें। प्रेग्‍नेंसी में पपीता, खजूर, सी फूड, अनानास, सहजन की फलियां, कलेजी, कच्‍चे अंडे, कच्‍ची सब्जियां, ऐलोवेरा आदि खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
  • जंक फूड लेने की बजाय आयरन और प्रोटीन युक्त भोजन की डाइट शुरू करें, जिससे प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं को ताकत प्रदान हो।
  • प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में ड्राई फ्रूट के सेवन से बचें, वहीं कुछ महीनों बाद ड्राई फ्रूट का सेवन गर्भावस्था और डिलीवरी के लिए अच्छा माना जाता है।
  • पैकेट फूड ना खाये, बल्कि घर का फ्रेश व हेल्थी भोजन लें।
  • डेयरी प्रॉडक्ट, दाले, अंडे, अनाज और सब्जियाँ ज्यादा लें, साथ में पानी ज्यादा पिये।

गर्भावस्था में दवाओं पर स्पष्ट सावधानी

अक्सर गर्भावस्था में कुछ समस्या होने पर महिलाएं OTC दवाई या गर्भवती होने से पहले सुझाई दवाईयाँ लेती है, जो खतरनाक साबित हो सकता है।

  • गर्भावस्था में कोई भी दवाई लेने से पहले डॉक्टर की निजी सलाह बेहद जरूरी है।
  • जारी दवाइयों की भी जानकारी डॉक्टर को देनी चाहिए।
  • एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी और अन्य सभी दवाएं गर्भवती महिलाओं के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। अतः आप गर्भावस्था में अपने चिकित्सक की सलाह पर हर दवा का आदर करें।
  • विटामिन, मिनरल या कोई भी हार्मोनल सप्लिमेंट लेने से पहले भी डॉक्टर की अनुमति जरूरी है।
  • कुछ दैनिक छोटी-मोटी दिक्कतों को घरेलू रेमेडीज से ठीक कर सकते है।

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रहन-सहन पर रखें पूरा ध्यान

गर्भावस्था के दौरान ज्यादा तंग कपड़े न पहनें। ढीले और आरामदायक कपड़ो का सहारा लें।

यदि आप ऊँचे हील वाले सैंडल या जूते पहनने की आदी है, तो कुछ महीनों के लिए इस आदत को बदलने की आवश्यकता हो सकती है। गर्भावस्था में साधारण समतल चप्पल या सैंडल ही पहनें।

बाथ टब में नहाते समय ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल न करें। ज्यादा देर तक गर्म पानी में रहने से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है, जिससे गर्भ में पल रहें शिशु को नुकसान हो सकता है।

तनावपूर्ण या डरावने सीरियल कम से कम देखें। डिजिटल स्क्रीन के सामने इतना न बैठें की आपकी आँखें दर्द करने लग जाएं।

उछल-कूद, कसरत या रनिंग करने से बचें। इस समय साधारण और सुरक्षित योगा कर सकतें है, वही चलना एक अच्छा विकल्प है।

गर्भावस्था से जुड़ी अन्य सावधानियां

नशीले पदार्थों का सेवन करना छोड़ दें, यदि आपको इनकी आदत है। नशीले पदार्थ अजन्मे शिशु के विकास पर रोक लगा सकते है।

प्रेगनेंसी में ज्यादा समय बीत जाने पर आपको यात्रा से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को यात्रा करने से मना लिया जाता है क्योंकि झटकों से पेट में दर्द शुरू हो सकता है।

ऐसी जगह पर टहलने के लिए न निकलें जहां आवारा पशुओं का झुंड हो। आवारा पशुओं जैसे गाय या सांड के धक्के से आपको खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सोते समय करवट बदल कर सोने से नींद अच्छी आ सकती है।

गर्भवती महिलाएं शरीर में पानी की कमी न होने दें। समय-समय पर पानी पाने का स्मरण रखनें के लिए साथ में एक बोतल रख सकतें है।

घर में कई केमिकल जैसे फर्श को साफ करने रासायनिक पदार्थ, गेंहू या धान में डालने वाली दवाएं, छोटे कीटनाशकों आदि को सावधानीपूर्वक इस्तेमाल में लें।

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निष्कर्ष

हमें उम्मीद है, कि यह लेख आपके लिए मददगार होगा और गर्भावस्था से जुड़ी सावधानियाँ समझ आ गयी होगी। साथ ही गर्भावस्था से जुड़े कई सवालों का जवाब भी आपको इस लेख में मिल गया होगा।

गर्भावस्था एक सुहावना समय होता है, लेकिन डिलवरी के बाद भी पूरी सावधानी रखनी चाहिए। माँ और एक नन्ही सी जान को पूरे ख्याल की जरूरत होती है, इसलिए लेक्टेशन पीरियड में भी पूरी सतर्कता रखे।