दारुहरिद्रा क्या है?
दारुहरिद्रा, पहाड़ी भागों पर मिलने वाली एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है, जिसे आयुर्वेद चिकित्सा और यूनानी चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले लाभकारी पौधों में से एक माना जाता है।
दारुहरिद्रा एक स्वदेशी वनस्पति है, जो भारत और नेपाल की दो हजार से तीन हजार मीटर वाली ऊँचाई पर पाई जाती है। यह मुख्यतः हिमालय और दक्षिण भारत की नीलगिरी की पहाड़ियों में उगता है।
दारुहरिद्रा “बरबेरीडेसी” परिवार की जड़ी-बूटी है, जिसका वानस्पतिक नाम बरबेरिस एरिस्टैटा (Berberis Aristata) है और इसे अन्य कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे दारुहल्दी, इंडियन बरबेरी, कस्तूरी पुष्प, चित्रा, वृक्षहल्दी इत्यदि।
दारुहरिद्रा का पूरा पौधा औषधि बनाने में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा इसकी जड़ें उपयोग में ली जाती है।
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फायदे
दारुहरिद्रा के उपयोग व फायदे – Daruharidra & Uses in Hindi
दारुहरिद्रा से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार है-
- दारुहरिद्रा का फल खाने योग्य होता है, जिसमें विटामिन-सी की प्रचुर मात्रा होने से, यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार लाता है।
- दारुहरिद्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सोरायटिक गुण होते है, जो त्वचा की सूजन और सोरायसिस के इलाज में मदद करता है। (और पढ़िये: 5 गोरी व चमकदार त्वचा के आसान नुस्खे)
- यह जड़ी-बूटी बैक्टीरिया के विकास को रोककर मुँहासों के इलाज व प्रबंधन में सहायक हो सकती है।
- दारुहरिद्रा में एंटीऑक्सीडेंट और हेपेटोप्रोटेटिव गुण पाये जाने के कारण, यह लीवर की कोशिकाओ को मुक्त कणों के प्रभाव से बचाता है और लिवर स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इसके अलावा, यह एंजाइम्स के स्तर में सुधार कर लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
- जलन वाली जगह पर, दारुहरिद्रा को गुलाब जल के साथ लगाने से जलन कम होती है और जला हुआ स्थान जल्दी ठीक होता है।
- यह जड़ी-बूटी ग्लूकोज के मेटाबोलिज्म को बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है, जिससे डायबिटिज कंट्रोल में रहती है।
- दारुहरिद्रा खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर वसा कोशिकाओं के निर्माण में बाधा लाता है, जिससे वजन मैनेज रहता है।
- दारुहरिद्रा में एंटीमाइक्रोब्रियल गुण होते है, जिससे अतिसार या दस्त में फायदा होता है।
- भारी मासिक धर्म चक्र यानी मेनोरेजिया कि समस्या में अत्यधिक रक्त स्राव होता है, जिसे नियंत्रित करने के लिए दारुहरिद्रा एक बेहद फायदेमंद उपाय हो सकता है। (और पढ़िये: Periods क्या है?)
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दुष्प्रभाव
दारुहरिद्रा के दुष्प्रभाव – Daruharidra Side Effects in Hindi
दारुहरिद्रा का निश्चित मात्रा और समान अंतराल में सेवन करने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। लेकिन फिर भी, इसका ज्यादा या गलत इस्तेमाल न करें क्योंकि इससे ओवरडोज़ का खतरा बढ़ता है।
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खुराक
दारुहरिद्रा की खुराक – Daruharidra Dosage in Hindi
दारुहरिद्रा की खुराक लेने के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की मदद ली जा सकती है। आमतौर पर, इसकी ज्यादा सुझाव की जाने वाली खुराक कुछ इस प्रकार है
यह खुराक एक सामान्य उम्र के पुरूष और महिला के लिए है।
दारुहरिद्रा चूर्ण दिन में 2 बार आधा-आधा चम्मच, शहद या दूध के साथ, भोजन के बाद लें।
दारुहरिद्रा कैप्सूल, दिन में 2 बार एक-एक कैप्सूल लें। अगर बीमारी का प्रभाव ज्यादा है, तब इसे सुबह व शाम दो-दो कैप्सूल लें सकते है। इसे भोजन के बाद दूध या पानी के साथ निगलें।
दारुहरिद्रा टैबलेट, दिन में 2 बार एक से दो टैबलेट लें। इसे खाना खाने के बाद शहद या पानी के साथ लें।
दारुहरिद्रा क्वाथ या काढ़ा, दिन में एक बार भोजन से पहले पियें।
बच्चों में दारुहरिद्रा की खुराक बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह पर दें।
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सावधानी
दारुहरिद्रा को कुछ मामलों में सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करना चाहिए-
- निम्न रक्त शर्करा स्तर (Low Blood Sugar Level) की समस्या से पीड़ित मरीज, दारुहरिद्रा का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही शुरू करें क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को और कम कर सकता है।
- गर्भावस्था में इसे लेने के लिए अपने डॉक्टर का परामर्श लें। (और पढ़िये: गर्भावस्था से जुड़ी सावधानियां)
- एलर्जी या अतिसंवेदनशीलता के मामलों में दारुहरिद्रा का प्रयोग न करें। (और पढ़िये: अतिसंवेदनशीलता क्या है?)
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