अर्जुन की छाल क्या है?
आयुर्वेद चिकित्सा में शामिल कई लाभकारी जड़ी-बूटियों में से एक नाम अर्जुन का है, जो हमारे हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनायें रखता है।
अर्जुन का वैज्ञानिक नाम टर्मिनलिया अर्जुन (Terminalia Arjuna) है, जिसे भारत की विभिन्न जगहों पर अन्य कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे- वीरवृक्ष, धवल, काहू, अरजन, व्हाइट मुर्दाह, अंजनी इत्यादि।
अर्जुन पादप जगत के कॉम्ब्रेटेसी कुल से संबंध रखता है, जो भारत और श्रीलंका के गीले, दलदली और उप-हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है।
अर्जुन एक पर्णपाती पेड़ है, जो लगभग 100 फिट तक ऊँचाई प्राप्त करता है। इसके शंकु के आकार के पत्ते होते है, जिसके बीच छोटे सफेद या पीले फूलों का समूह उगता है, जिसे देखकर इसकी पहचान की जा सकती है।
अर्जुन के पूरे पेड़ में इसकी आंतरिक लाल रंग की छाल सबसे ज्यादा काम की होती है। अर्जुन की छाल को पीसकर इसे चूर्ण रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
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फायदे
अर्जुन के उपयोग व फायदे – Arjun Benefits & Uses in Hindi
अर्जुन से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार है-
अर्जुन के सेवन से रक्त परिसंचरण तंत्र बेहतर बनता है, जिससे कोशिकाओं के बीच पोषक तत्वों का यातायात बढ़ता है और हृदय की मांसपेशियां मजबूत बनती है।
रक्त के सामान्य प्रवाह से हृदय के कार्यों में एक लय स्थापित होती है और हृदय से जुड़े रोग दूर होते है।
अर्जुन हृदय के भावनात्मक कल्याण का समर्थन करता है, जिससे दुःख और उदासी की भावना कम होती है और हृदय का बोझ हल्का होता है।
अर्जुन फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं जैसे संक्रमण, खाँसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के इलाज में मददगार होता है। यह कफ को संतुलित कर बलगम की अधिकता से छूटकारा दिलाता है।
यह जड़ी-बूटी मूत्र से जुड़ी परेशानी जैसे पेशाब करते समय दर्द, रुक-रुक कर पेशाब आना और जलन की समस्या से निजात दिलाती है।
अर्जुन की छाल का बाहरी प्रयोग त्वचा से जुड़े विकारों को ठीक करने के उद्देश्य से किया जा सकता है।
अर्जुन में वात दोष को शांत करने के गुण पायें जाते है, इसलिए यह दस्त के मामलों में भी असरदार साबित होता है।
अर्जुन अमा (न पचने वाला विषाक्त पदार्थ) को कम कर कफ को संतुलित करता है और छाती के दर्द में आराम दिलाता है।
यह शुक्र धातु में वृद्धि कर प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने में फायदेमंद जड़ी-बूटी है।
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दुष्प्रभाव
अर्जुन के दुष्प्रभाव – Arjun Side Effects in Hindi
अर्जुन का सीमित सेवन करने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है, लेकिन इसके अर्क का अधिक सेवन करने से, यह हेपेटोटॉक्सिसिटी (Hepatotoxicity) के साथ-साथ हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) को भी प्रेरित कर सकता है।
अर्जुन के ज्यादा इस्तेमाल से कुछ मामूली दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते है, जैसे-
- मतली
- पेट में सूजन
- सिरदर्द
- अनिद्रा
- कब्ज
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खुराक
अर्जुन की खुराक– Arjun Dosage in Hindi
अर्जुन की खुराक लेने के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की मदद ली जा सकती है। आमतौर पर, इसकी ज्यादा सुझाव की जाने वाली खुराक कुछ इस प्रकार है-
यह खुराक एक सामान्य उम्र के पुरूष और महिला के लिए है-
अर्जुन चूर्ण 2 से 3 ग्राम दिन में दो बार, शहद या पानी के साथ, भोजन के बाद लें।
अर्जुन कैप्सूल, दिन में दो बार एक-एक कैप्सूल लें। इसे भोजन के बाद, पानी या दूध के साथ निगलें।
अर्जुन टैबलेट, दिन में दो बार एक-एक टैबलेट लें। इसे खाना खाने के बाद, पानी या दूध के साथ लें।
अर्जुन की 1 से 3 ग्राम चाय का सेवन सुबह और शाम करें। बच्चों में अर्जुन की खुराक बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह पर दें।
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सावधानी
अर्जुन का सेवन कुछ मामलों में सावधानीपूर्वक करना चाहिए-
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में अर्जुन का स्पष्ट प्रभाव अज्ञात है, इसलिए ये महिलाएं अर्जुन के सेवन से परहेज करें। (और पढ़िये: गर्भावस्था से जुड़ी सावधानियां)
- अगर किसी को गंभीर कब्ज की समस्या है, वे अर्जुन का सेवन न करें क्योंकि यह अपने शुष्क स्वभाव के कारण कब्ज को बढ़ा सकता है।
- अर्जुन को थक्कारोधी दवाओं के साथ इस्तेमाल करने से बचें क्योंकि इसमें रक्त को पतला करने वाले गुण होते है।
- इससे एलर्जी होने पर, इसका सेवन न करें।
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