इस लेख में हम आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े रोचक तथ्य जानने वाले है। आयुर्वेद भारत के इतिहास का बेहद जरूरी हिस्सा है और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य को ठीक करता है।
एलोपैथी में केमिकल का उपयोग किया जाता है, जबकि आयुर्वेद प्रकृति के गुण पर काम करता है। यहाँ हम कुछ ऐसे ही रोचक और मज्जेदार तथ्य आयुर्वेद के बारे में जानने वाले है।
31 आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े रोचक तथ्य
1. आयुर्वेद भारतीय प्रकृति की देन हैं, जो आज दुनिया भर में चिकित्सा के रूप में विख्यात हैं। यह एक वैध शास्त्र चिकित्सा पद्धति हैं, जो पूर्णतया प्रकृति की सहयोगी हैं।
2. आयुर्वेद का अर्थ होता हैं “जीवन का विज्ञान“। इसका पूरा वर्णन भारत के सबसे पुराने ग्रंथों चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय में उल्लेखित हैं।
3. एलोपैथिक दवाओं की तुलना में आयुर्वेदिक दवाएं असर दिखाने में थोड़ा ज्यादा समय ले सकती हैं। ऐसा इसलिए होता हैं, क्योंकि एलोपैथिक श्रेणी की दवाएं रोगों के प्रबंधन पर केंद्रित होती हैं। जबकि आयुर्वेदिक दवाएं रोगों का मूल कारण ही समाप्त कर देती हैं।
4. आयुर्वेद से जुड़ी औषधियां जीवन को स्वस्थ और आनंदमय बनाने हेतु पंच तत्वों (धरती, आकाश, वायु, अग्नि और जल) को आपस में संतुलित बनायें रखने हेतु मददगार हैं।
5. आयुर्वेद में दोषों को मुख्य तीन भागों में सुनिश्चित किया गया हैं, जो संपूर्ण शारीरिक जटिलता का कारण होते हैं:
- वात दोष (वायु और आकाश पर आधारित)
- कफ दोष (पृथ्वी और जल पर आधारित)
- पित्त दोष (अग्नि पर आधारित)
6. स्वास्थ्य इलाज हेतु आयुर्वेद चिकित्सा को भी दो भागों में बांटा गया हैं।
- शोधन चिकित्सा: इसमें दूषित या खराब तत्वों को शरीर के बाहर उत्सर्जित किया जाता हैं।
- शमन चिकित्सा: इसमें शारीरिक और मानसिक स्थिति को ठीक करने के लिए आंतरिक और बाहरी दोषों को ठीक किया जाता हैं।
7. भारत में आयुर्वेद चिकित्सा का सबसे अच्छा केंद्र बेंगलुरु में स्थित हैं। श्री श्री आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र में मानव जीवन के महत्व और इसे प्राकृतिक रूप से कैसे जीना हैं, इसका पूरा तरीका सिखाया जाता हैं।
8. चरक संहिता में स्वप्न से संबंधित अरिष्ठ लक्षणों को उल्लेखित किया गया हैं। इसके अनुसार यदि व्यक्ति सपने में खुद को स्नान या चंदन का लेप करते हुए पाता हैं और मक्खियां शरीर पर बैठी हो, तो वह व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त होगा।
9. आयुर्वेद के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपने बाल या रोम को पकड़कर खींचे, जिससे वे उखड़ जायें और उसे दर्द या वेदना की अनुभूति न हो, तो यह माना जाता हैं, कि उस व्यक्ति की आयु पूरी हो चुकी हैं।
10. कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का घरेलू उपयोग सेहत को निरोगी बनायें रखने के लिए काफी हैं। गर्म दूध में हल्दी मिलाकर इसका सेवन करने से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी घटती हैं और साथ ही यह अनिद्रा को दूर कर अच्छी नींद का कारण बनता हैं।
11. वैसे तो आयुर्वेदिक दवाओं के कोई नुकसान नहीं हैं, लेकिन कुछ विषम परिस्थितियों में इसके विपरीत प्रभाव दिखते हैं। तो इसकी भरपाई एलोपैथिक दवाओं की तुलना में ज्यादा जल्दी और आसानी से होती हैं।
12. आयुर्वेदिक उत्पादों में सभी रूप देखने को मिल सकते हैं जैसे- गोली, काढ़ा, भस्म, राख, पिष्टी आदि।
13. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को लंबे समय तक निःसंकोच इस्तेमाल किया जा सकता हैं, क्योंकि इनसे शरीर को आदत नहीं लगती हैं।
14. आयुर्वेद से जुड़ी दवाएं स्वस्थ हृदय और बेहतर पाचन तंत्र की नींव रखने में सहायक हैं।
15. आयुर्वेदिक दवाएं आनुवंशिक कमियों को दूर कर आने वाली पीढ़ियों को बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली प्रदान करने में पूर्णतया सक्षम हैं।
16. आयुर्वेद एक सस्ता और विश्वशनीय इलाज हैं, जिसे लेना हर व्यक्ति के बस में हैं।
17. आयुर्वेद मानसिक लक्षणों के प्रति एक अच्छा मार्गदर्शक हैं, जो व्यक्ति को तंदुरुस्त और जवां बनायें रखता हैं।
18. आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा और चीरा-फाड़ी का प्रयोग नहीं किया जाता हैं। इसमें अंगों की अदला-बदली करने के बजायें अंगों को ठीक करने पर जोर दिया जाता हैं।
19. आयुर्वेद से जुड़ी सारी जड़ी-बूटियां प्रकृति की देन हैं और उसी से प्राप्त होती हैं। लेकिन एलोपैथिक दवाइयों को रासायनिक संयोजनों के द्वारा कृत्रिम रूप से बनाया जाता हैं।
20. महर्षि चरक को आयुर्वेद का जनक कहा जाता है।
21. आयुर्वेद अनुसार, हमारा स्वास्थ्य बहुत से कारको पर निर्भर करता है। इसमें हमारी जीवनशैली, हम कैसे वातावरण में रहते है और कौनसा रंग हमें पसंद है, यह भी कारक है।
22. आयुर्वेद दवाई में सिर्फ जड़ी-बुटी ही नहीं, बल्कि प्रकृति से मिलने वाले अन्य पदार्थ जैसे दूध, पत्थर और राख भी शामिल है।
23. Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (BAMS) भारत समेत अन्य दक्षिणी एशिया के देशों में आयुर्वेद विशेषज्ञ/डॉक्टर बनने की डिग्री है।
24. अश्वगंधा, हल्दी, चंदन, शहद और ब्राह्मी कुछ प्रचलित आयुर्वेदिक दवाओं के घटक है।
25. अधिकतर लोग पश्चिमी देशों में आयुर्वेद को उपचार का गतल तरीका मानते है। जबकि आयुर्वेद सुरक्षित और सफल नीति है, जिसमें सर्टिफाइड विशेषज्ञ ही काम करते है।
26. एलोपैथी की तरह नाड़ी मापना आयुर्वेद उपचार में भी बेहद महत्वपूर्ण है।
27. आयुर्वेद में विकार पहचानने के लिए निम्न बिन्दुओं का आंकलन होता है।
- नाड़ी
- मूत्र
- मल
- शब्द
- जीवहा
- स्पर्शा
- दिव्क
- आकृति
28. आयुर्वेद में स्वास्थ्य को मन, आत्मा, शरीर और सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन को बताया है।
29. आयुर्वेदिक दवाई का उपयोग करने से पहले भी विशेषज्ञ/आयुर्वेदिक डॉक्टर से अवस्था अनुसार निजी खुराक लेना उचित और जरूरी है।
30. निम्न आज के समय में सबसे प्रचलित आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली कंपनी है।
- डाबर इंडिया लिमिटेड
- इमामी लिमिटेड
- हिमालया ड्रग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड
- पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड
- श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्राइवेट लिमिटेड
31. 5 में से 1 आयुर्वेदिक दवा में टॉक्सिक पदार्थ (सीसा, पारा और आर्सेनिक) होते है, इसी कारण से अमेरिका ने 2007 में आयुर्वेद चिकित्सा पर प्रतिबंध लगाया है।
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है, कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आयुर्वेद के बारे में कुछ नया जानने को मिला होता। अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो हमें कमेंट में जरूर बताए।