Antibiotic in Hindi: इस लेख में हम एंटीबायोटिक की बात करेंगे, जिन्हें प्रतिजैविक भी कहा जाता है। एंटीबायोटिक जीवाणु (Bacteria) के कारण होने वाले संक्रमण पर बेहद प्रभावी होती है। अलग-अलग तरह की एंटीबायोटिक अलग तरीके और अलग बैक्टीरिया पर काम करती है।
इस लेख में आपको एंटीबायोटिक क्या है? इसकी कार्यशैली, प्रकार, फायदे, उपयोग, साइड एफ़ेक्ट्स, खुराक और इहिहास के बारे में जानकारी मिल जाएंगी। इसके अतिरिक्त अंत में एंटीबायोटिक से जुड़े अक्सर पूछें जाने वाले सवाल के जवाब भी मौजूद है।
एंटीबायोटिक क्या है? – What is Antibiotics in Hindi
एंटीबायोटिक वह यौगिकों का समूह हैं, जो शरीर में संक्रमण के लिए जिम्मेदार हानिकारक जीवाणुओं (बैक्टीरिया) की वृद्धि को रोककर उनको नष्ट करता हैं। सामान्य भाषा में कहा जाएं, तो यह एक जीवाणुरोधी एजेंट हैं, जो जीवाणु के संक्रमण को कम और मिटाने में सहायक हैं।
वायरल और फंगल संक्रमण की स्थितियों में एंटीबायोटिक दवाएं कोई काम की नहीं हैं।
एंटीबायोटिक कैसे काम करती हैं?
एंटीबायोटिक्स वर्ग की दवाएं बैक्टीरिया उत्पादन के लिए जिम्मेदार गतिविधियों को कम कर जीवाणुओं की ऊर्जा को नष्ट करती हैं। यह तीन तरीको से काम करती है।
- यह बैक्टीरिया के कवच पर प्रभाव करती है
- बैक्टीरिया उत्पादन को कम करती है
- बैक्टीरिया में प्रोटीन उत्पादन को रोकती है।
यह दवा अच्छे और बुरे जीवाणुओं के बीच एक असंतुलन पैदा करती हैं, जिससे बुरे बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं और उनका विकास रुक जाता हैं।
एंटीबायोटिक के प्रकार – Antibiotics Types in Hindi
मुख्य एंटीबायोटिक यौगिकों का वर्गीकरण विभिन्न प्रकारों या वर्गों में किया गया हैं-
1. Penicillin
उदाहरण: Phenoxymethylpenicillin, Flucloxacillin और Amoxicillin
2. Sulfonamides व Trimethoprim
उदाहरण: Co-Trimoxazole
3. Cephalosporins
उदाहरण: Cefaclor, Cefadroxil और Cefalexin.
4. Aminoglycosides
उदाहरण: Gentamicin और Tobramycin
5. Tetracyclines
उदाहरण: Tetracycline, Doxycycline और Lymecycline
6. Macrolides
उदाहरण: Erythromycin, Azithromycin और Clarithromycin.
7. Clindamycin
उदाहरण: Ciprofloxacin, Levofloxacin और Norfloxacin
8. Metronidazole व Tinidazole
उदाहरण: Nitrofurantoin
एंटीबायोटिक के फायदे व उपयोग – Antibiotics Benefits & Uses in Hindi
एंटीबायोटिक के रूप में इस्तेमाल किये जाने वाले घटक के अवस्था अनुसार सही तरीके से उपयोग करने पर निम्न फायदे है।
- एंटीबायोटिक्स दर्द और सूजन को कम करते हैं।
- शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाते हैं।
- पाचन तंत्र को मजबूत करने में एक अहम योगदान निभाते हैं।
- संक्रमित श्वसन तंत्र को ठीक करने में मददगार हैं।
- सर्जरी संक्रमणों के विरुद्ध प्रभावकारी हैं।
- किडनी संक्रमण, लीवर संक्रमण, त्वचा संक्रमण, मस्तिष्क संक्रमण, पेट संक्रमण, हड्डी संक्रमण, उत्सर्जन संक्रमण आदि सभी में एंटीबायोटिक गुणकारी हैं।
- छोटी नई कोशिकाओं की जन्मदाता है।
एंटीबायोटिक के दुष्प्रभाव – Antibiotics Side Effects in Hindi
एंटीबायोटिक से हल्के साइड एफेक्ट होना समान्य है, लेकिन कई बार एंटीबायोटिक के कारण “अच्छे बैक्टीरिया” पर भी प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में प्रोबायोटिक का उपयोग किया जाता है।
एंटीबायोटिक से पाचन से जुड़ी समस्या 10 में से 1 व्यक्ति को होती है। इसके अलावा निम्न साइड एफ़ेक्ट्स एंटीबायोटिक के कारण हो सकते है। लेकिन साइड एफ़ेक्ट्स एंटीबायोटिक प्रकार, खुराक व रोगी की अवस्था पर ज्यादा निर्भर करते है।
- उल्टी
- बुखार
- सूजन
- अपच
- भूख न लगना
- पेट में दर्द
- जी मिचलाना
- घबराहट
- उनींदापन
- खुजली
एंटीबायोटिक की खुराक – Antibiotics Dosage in Hindi
- एंटीबायोटिक्स दवाओं की खुराक हेतु मरीज की आयु, लिंग, स्वास्थ्य स्थिति, लक्षण गंभीरता, दवाओं का इतिहास आदि सभी मूल बातों पर ध्यान दिया जाता हैं। इसकी आसान और सुरक्षित खुराक डॉक्टर द्वारा तय की जाती हैं।
- एंटीबायोटिक टैबलेट, सिरप, इंजेक्शन और कैप्सूल सभी रूपों में उपलब्ध होती हैं। इससे जुड़ी हर खुराक की जानकारी में डॉक्टरी व्यक्तिगत संपर्क आवश्यक हैं। उदाहरण: Rifagut Tablet, Monocef Injection, Zifi Syrup।
- एंटीबायोटिक्स दवाओं का नियमित सेवन एक तय समय पर करना सबसे ज्यादा उचित होता हैं। हालांकि इसे भोजन से पहले या बाद जरूरत के हिसाब से कभी भी लिया जा सकता हैं।
- हर आयु के वयस्कों में, खुराक में संभावित बदलाव के लिए डॉक्टरी हस्तक्षेप आवश्यक होता हैं। जब तक कहा न जाये, तब तक इसकी खुराक बंद नहीं की जानी चाहिए।
- इन दवाओं की खुराक में बिना छेड़छाड़ किए प्राकृतिक रूप से ग्रहण करना चाहिए।
- बच्चों में हर तरह की एंटीबायोटिक दवाओं की खुराक पूर्णतया बाल रोग विशेषज्ञ की निगरानी में दी जानी चाहिए।
- छुटी हुई खुराक को समय पर लेना सुरक्षित हैं। लेकिन यदि अगली खुराक का समय निकट हैं तो मिस्ड खुराक को छोड़ देना ही उचित होता हैं।
- अन्य दवाओं के साथ एंटीबायोटिक की खुराक दुष्प्रभाव का कारण बन सकती हैं। इस विषय में चिकित्सा सहायता आवश्यक हैं।
- ज्यादा सेवन या गलत खुराक से ओवरडोज़ की स्थिति महसूस करने पर खुराक को बंद कर, चिकित्सक से सहायता लें।
एंटीबायोटिक का इतिहास – Antibiotics History in Hindi
- सर्वप्रथम एक जर्मन चिकित्सक Paul Ehrlich ने अपनी शोध में पता लगाया, कि शरीर में संक्रमणों का कारण कुछ जीवाणु होते हैं और साथ में यह भी पता लगा, कि कोशिकाओं को बिना नुकसान पहुचाएं, कुछ चुनिंदा हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट किया जा सकता हैं। इस कार्य को अंजाम देने के लिए पॉल एर्लिच ने ‘कीमोथेरेपी‘ के रूप में प्रस्तुत किया।
- 1909 में, उन्होंने सिफलिस (Syphilis) जैसी बिमारी के इलाज हेतु Arsphenamine (अर्सेफेनमाइन) नामक रसायन का इस्तेमाल कर सफलता पायी।
- करीब 30 साल बाद, 1939 में पहली बार ‘एंटीबायोटिक‘ नाम का उल्लेख हुआ। मशहूर यूक्रेनी-अमेरिकी शोधकर्ता और माइक्रोबायोलॉजिस्ट विशेषज्ञ Selman Waksman ने इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार किया। इन्होंने अपने पूरे जीवन काल में 20 से अधिक एंटीबायोटिक दवाओं की खोज कर जनहित का कार्य किया।
- 1928 में, Alexander Fleming ने पेनिसिलिन (Penicillin) जैसी प्रभावकारी एंटीबायोटिक दवा की खोज की। ऐसा माना जाता हैं, कि अलेक्जेंडर अव्यवस्थित प्रकृति का था और उन्होने गलती से पेनिसिलिन की खोज की।
- पेनिसिलिन की पूरी दुनिया में बड़े स्तर पर मार्केटिंग अमेरिकी सरकार ने जल्द ही शुरू कर दी थी, क्योंकि इस दवा ने अमेरिका में हुए एक बड़े आग हादसे में कई लोगों की संक्रमण से जान बचाई थी। 1944 में डी-डे तक, पेनिसिलिन समस्त यूरोप में एक संजीवनी बनकर सभी अस्पतालों में सहजता से इस्तेमाल की जाने लगी।
- सैनिकों को भी संक्रमणों से बचाने में यह दवा बहुत कारगर साबित हुई और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक, पेनिसिलिन को ‘The Wonder Drug’ उपाधि से सम्मानित किया गया।
- Howard Florey तथा Ernst Chain दोनों ने Alexander Fleming के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर इस दवा का उत्पादन किया और 1945 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार साझा किया।
Antibiotics FAQ in Hindi
1) क्या Antibiotic दवाएं आयुर्वेदिक होती हैं?
उत्तर: कुछ घरेलू आयुर्वेदिक पदार्थ एंटीबायोटिक का कार्य कर सकते हैं। लेकिन मूल एंटीबायोटिक दवाएं आयुर्वेदिक न होकर एलोपैथिक श्रेणी से जुड़ी होती हैं, जो ज्यादा सफल कार्य करती हैं।
2) क्या Antibiotic नशेदार होती हैं?
उत्तर: एंटीबायोटिक के बारे में यह तथ्य कहना बिल्कुल गलत होगा। क्योंकि हर एंटीबायोटिक एक स्वास्थ्य सहयोगी हैं, जो स्वास्थ्य को इसकी आदत बनने नहीं देता हैं।
3) क्या Antibiotic वायरल और फंगल संक्रमणों के इलाज में सहायक हैं?
उत्तर: Antiviral और Antifungal वर्ग से जुड़ी दवाएं वायरल और फंगल संक्रमण के इलाज में काम में ली जाती हैं। Antibiotic सिर्फ बैक्टीरिया से जुड़े संक्रमणों को ही ठीक करने में सक्षम हैं। यह वायरल और फंगल संक्रमणों के लिए निष्क्रिय हैं।
4) क्या Antibiotic गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित होती हैं?
उत्तर: हर तरह की एंटीबायोटिक की एक अपनी ही कार्यशैली होती हैं। सामान्यतः यह दवाएं गर्भावस्था में डॉक्टर की सलाह अनुसार इस्तेमाल की जा सकती हैं। कुछ नाजुक स्थितियों में गर्भवती महिलाओं में इन दवाओं को अनुशंसित नहीं किया जाता हैं।
5) क्या Antibiotic खाली पेट इस्तेमाल की जा सकती हैं?
उत्तर: हां, इन दवाओं का सेवन भोजन के पहले या बाद कभी भी किया जा सकता हैं। कुछ उच्च कोटि की एंटीबायोटिक के लिए भोजन के बाद इसको लेने पर विचार किया जाता हैं।
6) क्या Antibiotic भारत में लीगल हैं?
उत्तर: हां, हर तरह की एंटीबायोटिक जो स्वास्थ्य को सेहतमंद बनाएं रखने के लिए उपयोगी हैं, भारत में पूर्णतया लीगल हैं। लेकिन इन्हें भी OTC और अन्य शैड्यूल वर्ग में बांटा गया है।
7) क्या Antibiotic जनन अंगों के संक्रमणों के इलाज में कारगर हैं?
उत्तर: हां, कुछ एंटीबायोटिक इस कार्य को बखूबी अंजाम देती हैं, लेकिन जनन अंगों के संक्रमणों के इलाज में एंटीबायोटिक की नियुक्ति डॉक्टर द्वारा की जाती हैं।
8) क्या Antibiotic शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर कोई प्रभाव डालती हैं?
उत्तर: एक बार किसी संक्रमण से ठीक होने के बाद शरीर उससे लड़ने के लिए खुद को तैयार कर देता हैं। यह एंटीबायोटिक की वजह से होता हैं और इससे बैक्टेरियल संक्रमण के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो जाती हैं।